पड़ोसी मुल्क की महबूबा
लघु कहानी _पड़ोसी मुल्क की महबूबा।
दिनेश शर्मा जी एक प्राइवेट कंपनी में क्लर्क थे।उनके दो बच्चे थे।पत्नी भी पढ़ी लिखी और सामान्य रूप रंग की थी।परिवार बहुत अच्छा चल रहा था।लेकिन शर्मा जी को टीवी और न्यूज़ देखकर विदेशी महिला से प्यार करने का मन ललचाने लगा था।
अगर कोई विदेशी महिला से उनका रिश्ता बन जाए तो उनका भी रोज टीवी में फोटो आएगा।रोज मिडिया वाले उनका भी इंटरव्यू लेने आयेंगे। वे भी देखते देखते प्रसिद्ध हो जायेंगे ।फिर उनको भी फिल्म में भी काम करने का मौका मिल जायेगा।
इसी सोच में पड़े शर्मा जी खूब सोसल मीडिया में समय देने लगे। इस चक्कर में उनके ऑफिस का काम हर्जा होने लगा।अपने बॉस से कई बार डांट भी सुन चुके थे।लेकिन उनको तो किसी बिदेशी लड़की से रिश्ता जोड़ना था।उन्होंने अपनें मन की बात अपने सहकर्मी मित्र सोहन लाल से बताई ।उनके मित्र ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा।ऐसा सोचना भी मत वरना लेने के देने पड़ जायेंगे।जो भी शांति से परिवार चला रहे हो और दो जून की रोटी खा रहे हो सब उल्टा हो जायेगा।सब लेने के देने पड़ जायेंगे।
अपने मित्र की सलाह सुनकर शर्मा जी भड़क गए और बोले साले तुमको जलन हो रही है की कोई विदेशी लड़की मुझे प्यार करेगी और मैं फेमस हो जाऊंगा।मेरी खुशी तुमको देखी नही जायेगी।
अरे यार मैं तुमको सही सलाह दे रहा हूं और तुम मुझ पर ही भड़क रहे हो तो जाओ तुमको जो करना है करो।फिर मुझे दोष न देना की मैने तुमको समझाया नही था।उसके दोस्त ने नाराज होते हुए कहा।
सोसल मीडिया में चेटिंग कर करके शर्मा जी थक गए लेकिन कोई विदेशी लड़की घास नहीं डाल रही थी। आखिरकार एक लड़की से उनकी दोस्ती हो ही गई ।उसने अपना नाम शबनम बताया।वो एक तलाक शुदा औरत है बताया।उसका शौहर शराबी था।शराब पीकर हमेशा उसे मरता पीटता था इसलिए तंग आकर उसने उससे तलाक ले लिया। धीरे धीरे दोनो को दोस्ती मोहब्बत में बदल गई। शबनम ने कहा मैं आपसे निकाह करना चाहती हूं ।मेरे आठ बच्चे हैं।चार पहले से और चार दूसरे शौहर से।
आप मुझे आकर अपने देश ले लाओ।मैं अकेली नहीं आ सकती।
शर्मा जी उसके प्यार में इतने अंधे हो गए की या यूं कहे की अपनी पब्लिसिटी के चक्कर में अपनी पत्नी और दो बच्चो को छोड़कर विदेश चले गए।बैंक में कितनी जमा पूंजी थी सब निकाल लिया।
वहा जाकर उनको एक से बढ़कर एक मुशीबतो को झेलना पड़ा।
वहा की पुलिस ने उनको विदेशी जासूस समझकर जमकर कुटाई किया।या यूं कहे निर्दोष होते हुए भी अपना खीस निकाला इनपर की एक दुश्मन देश का गैर मजहबी आदमी हमारे देश की औरत के साथ रिश्ता बनाने आया है।खैर जेल में ले जाकर और भी धुनाई हुई।फिर गुप्तचर एजेंसियों ने उनकी बड़ी कड़ाई से ठोक पीटकर पूछ ताछ किया। बेचारे लाख दुहाई देते रहे की मैं भारत का एक आम आदमी हूं।मेरा जासूसी से कोई लेना देना नहीं है मगर कोई कहा मानने वाला था।कई दिनों तक शर्मा जी की अलग अलग जांच एजेंसियों के कैदखाने मरम्मत होती रही। मिडिया में उनका लूटा पीटा चेहरा जरूर आता रहा।उनकी पत्नी यह सब देखकर भारत में अपना सिर पिटती रही ।
उनकी कंपनी ने लंबे समय से अनुपस्थित रहने के कारण नौकरी से निकाल दिया।
गनीमत थी की उनके दोस्त सोहन लाल ने उनकी पत्नी को उनकी जगह पर उसी कंपनी में रखवा दिया वरना सभी बाल बच्चे सड़क पर आ गए होते।
शर्मा जी की खबर भारत में भी सभी मीडिया में आ रही थी लेकिन एक नकारा और धोखेबाज पति के रूप में।
आखिरकार शर्मा जी को किसी तरह उनकी विदेशी मुल्क की महबूबा ने छुड़वाया।उसने भारत चलने का दवाब दिया।वैसे भी उसके मुल्क में इंसानों के रहने की जगह और सुविधा कहा थी ।लोग रोटियों और चावल के लिए आपस में लड़ मर रहे थे।मुल्क के हुक्मरानों को वहा की आवाम की कोई चिंता ही नही थी। वे भी अपनी गंदी राजनीति में आपस में लड़ रहे थे।
सब लुटाकर शर्मा जी जब भारत आए तो उनकी पत्नी ने उनको घर से निकाल दिया।नौकरी तो पहले ही चली गई थी।
अपनी विदेशी मुल्क की महबूबा और उसके आठ बच्चो को लेकर शर्मा जी मंदिर की सीढ़ियों पर भीख मांगते नजर आए।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:30 AM
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